विदेश में जमा काले धन को भारत लाने और उसकी जानकारी पाने की दिशा में सरकार की रफ्तार नीतिगत तौर पर भले ही तेज हो, व्यावहारिक धरातल पर गति बेहद धीमी है। आठ देशों में आयकर की विदेश इकाई खोल कर वहां अधिकारियों की नियुक्ति करने का फैसला हुए आठ माह बीत गए हैं, लेकिन सरकार एक भी अधिकारी की नियुक्ति नहीं कर पाई है। इसकी वजह से सरकार दोहरे कराधान से बचने वाले करार (डीटीएए) में संशोधन से मिलने वाला लाभ भी पूरी तरह नहीं उठा पा रही है।
सरकार ने पिछले साल जुलाई में विदेश में जमा काले धन और कर चोरी के मामले रोकने की दिशा में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, संयुक्त अरब अमीरात, हॉलैंड, साइप्रस और जापान में आयकर की ओवरसीज यूनिट (आइटीओयू) खोलने तथा वरिष्ठ आयकर अफसरों की नियुक्ति का प्रस्ताव किया था। इसके अलावा कई देशों के साथ दोहरे कराधान से बचने वाले समझौतों में भी संशोधन का प्रस्ताव किया था। इन समझौतों पर तो सरकार का काम आगे बढ़ गया है, लेकिन आठ देशों में से किसी एक में भी आयकर अधिकारी की नियुक्ति अभी तक नहीं हो पाई है। दिलचस्प बात यह है कि इन अफसरों को ही दोहरे कराधान से बचने वाले समझौतों के प्रावधानों को अमल में लाना है। इसके तहत मिलने वाली जानकारी इन्हीं अफसरों को एकत्र करनी है।
सूत्र बताते हैं भारतीय दूतावासों में आयकर ओवरसीज इकाई तो स्थापित कर दी गई हैं,लेकिन वित्त मंत्रालय इन इकाइयों में नियुक्ति के लिए अनुकूल अफसरों की अभी तलाश ही कर रहा है। इन इकाइयों में फर्स्ट सेक्रेटरी के स्तर के अफसर की नियुक्ति होनी है। इस तरह की दो इकाइयों का गठन मारीशस व सिंगापुर में 2010 में ही कर दिया गया था। इन इकाइयों में तैनात अधिकारियों को मुख्यत: कर मामलों संबंधी सूचना के आदान-प्रदान सहित दोहरे कराधान से बचने वाले करार से संबंधित कार्य सुपुर्द किए जाते हैं।
सरकार ने शुरुआत में उन देशों में आयकर अफसरों की नियुक्ति का प्रस्ताव रखा है जो काले धन के लिहाज से अधिक संवेदनशील हैं। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) का मानना है कि इन देशों में नियुक्त रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के अफसरों के कामकाज का तरीका एकदम अलग है। वो कर चोरों द्वारा विदेश भेजे जा रहे काले धन का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित नहीं हैं। आयकर अफसरों की नियुक्ति का फायदा यह होगा कि ये लोग आयकर विभाग के केंद्रीय डाटाबेस का इस्तेमाल कर पाएंगे। विभाग के पास मौजूद आंकड़े कर चोरों का पता लगाने और पकड़े जाने पर उनकी तत्काल पुष्टि करने में सहायक होंगे। आयकर अधिकारी ऐसे कामों के लिए प्रशिक्षित हैं और वो भारत से बाहर भेजे जाने वाले धन का स्रोत तुरंत पता लगा सकेंगे।
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