Friday, May 10, 2013

भारत में नारी का स्थान


भारत में नारी का स्थान हमारे शास्त्रो में बहुत अच्छा है. परन्तु वास्तविक स्थिति बिलकुल अलग है . जहाँ तक मैने अनुभव किया है. एक पुरुष का अपनी माँ, बहन, पत्नी, बेटी से अलग-अलग व्यवहार करता है. इसके पीछे दकियानुसी मानसिकता काम कर रही है. इसके लिए भी हमारी समाजिक व्यवस्था जिम्मेदार है. जेसे लड़की को विवाह के ससुराल जाना पड़ता है. लड़का वंश को आगे ले जाता है. मुझे यह समझ में नहीं आता हम किस वंश की बात करते है अगर हमारे यहाँ कोई पुत्र पैदा होता है तो उसमे माता पिता दोनों रक्त होता है. जो की अलग-अलग परिवारों से होते है . आज समाज में दहेज प्रथा से महिलाओं का शोषण हो रहा है. मेंने अपने आसपास एसी महिलाओं को देखा है, जिन्हें अपने अधिकार तक नहीं पता है जिन्हें अपने घर के अलावा कुछ नहीं पता. इसमें उनके माता - पिता का दोष है जिन्होंने उन्हें पढ़ाया लिखाया नहीं. क्योकि उन्हे लगता था की पढ़ाई करके क्या करेगी. अशिक्षा ने उन्हें गुलाम बना दिया उन्हें घर पर रहने के मजबूर कर दिया है. उनके सारे सपने घर में बंद हो गए है. यह एक तरह का मानसिक शोषण है जो उन्हें अशिक्षा के कारण झेलना पड़ रहा है . आज हम भारत के विकास की बड़ी बड़ी-बाते करते है जबकि देश की आधी आबादी को हम उनका सही हक तक नहीं दे सकते तो ये सभी दावे खोखले है . देश का विकास तब तक नहीं हो जब तक महिलाओं को उनका उचित अधिकार न मिले. हम भारत को अमेरिका बनाना चाहते है परन्तु क्या आपने कभी अमेरिकी और भारतीय महिलाओं की तुलना कर के देखा है. दकियानुसी सोच बदलिए. ज्यादातर पुरुष महिलाओं को खुद से निम्न का समझते है परन्तु ये यह नहीं समझते की उनकी माता भी महिला है वे हवा मै प्रकट नहीं हुए है. महिलाओं निम्न को समझने वालो की जान कारी के लिए सिर्फ यह बताना चाहता हूँ विज्ञान के अनुसार महिलाये पुरुषो से ज्यादा विकसित है . जहाँ तक उच्च और निम्न होने का सवाल है, मेरा मकसद यह समझना है कि भारत का विकास महिलाओं के विकास के बिना संभव नहीं , हम देश कि आधी आबादी को अनदेखा कर विकास कि कल्पना नहीं कर सकते है .

No comments:

Post a Comment